EMOSNAL STORY IN HINDI

प्रस्तावना:

यह कहानी एक छोटे से गाँव में रहने वाले एक छोटे से जीव की है, जिसका नाम था एमोसीनाइल। एमोसीनाइल, जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है, एक छोटी सी स्लो-मूविंग घोंघी थी, लेकिन उसकी कहानी केवल उसकी गति से नहीं, बल्कि उसके अद्वितीय दृष्टिकोण और जीवन के प्रति उसकी समझ से जुड़ी हुई थी। यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन की गति चाहे जैसी भी हो, सच्चाई और प्यार के साथ चलने का महत्व कभी कम नहीं होता।

कहानी:

गाँव का नाम था “विक्रमपुर”, जो एक शांत और हरे-भरे क्षेत्र में स्थित था। वहाँ के लोग मेहनती थे और उनके जीवन में सादगी और प्रेम था। इस गाँव में कई प्रकार के जानवर और कीड़े-मकोड़े रहते थे, लेकिन सबसे खास था एक छोटा सा घोंघा, जिसका नाम था एमोसीनाइल। यह घोंघा गाँव के एक छोटे से बाग में रहता था, जहाँ पर रंग-बिरंगे फूल और हरे-भरे पौधे थे।

एमोसीनाइल का जीवन बिल्कुल साधारण था। वह हर दिन अपने स्लो गति से बाग में घूमा करता था, धीरे-धीरे अपना घर बनाने के लिए चिपचिपी सी चमड़ी छोड़ता हुआ। उसे किसी भी प्रकार की दौड़-भाग, हड़बड़ी, या तेज़ गति से काम करना पसंद नहीं था। वह अपना समय शांति से बिताना पसंद करता था, और कभी-कभी सोचा करता था कि क्या उसे अपनी गति बदलने की जरूरत है? क्या उसका जीवन धीमा है, जबकि बाकी सभी जल्दी-जल्दी काम करते हैं?

एक दिन, बाग में एक नई घोंघी आई, जिसका नाम था “सोनाली”। सोनाली बिल्कुल विपरीत थी—वह तेज़ थी, चंचल थी और हमेशा किसी न किसी काम में व्यस्त रहती थी। सोनाली ने आते ही बाग के सारे पौधों को बड़े ध्यान से देखा, और फिर एमोसीनाइल के पास आई।

“तुम बहुत धीमे हो, एमोसीनाइल!” सोनाली ने हंसते हुए कहा। “तुम्हें थोड़ा तेज़ होना चाहिए, तब ही तो तुम और अच्छा कर पाओगे!”

एमोसीनाइल थोड़ा चौंका, लेकिन उसने बड़े शांति से उत्तर दिया, “तेज़ी से सब कुछ हासिल नहीं होता, सोनाली। कभी-कभी धीमे चलने से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।”

सोनाली हंसते हुए बोली, “तुम तो बड़े अजीब हो! मैं जितनी तेजी से काम करती हूँ, उतना ही मुझे मजा आता है। तुम जितनी धीमे हो, उतना क्या कुछ कर पाओगे?”

एमोसीनाइल ने मुस्कराकर जवाब दिया, “शायद मैं धीमा हूँ, लेकिन मैं हमेशा जो करता हूँ, उसे पूरी ईमानदारी और ध्यान से करता हूँ। मेरा हर कदम मुझे कुछ नया सिखाता है।”

सोनाली ने उसकी बातों को नकारते हुए अपनी राह पकड़ी और जल्द ही बाग के दूसरे हिस्से में पहुँच गई। वह एमोसीनाइल के जीवन को समझ नहीं पाई, लेकिन एमोसीनाइल ने खुद को कभी भी सोनाली की गति से तुलना नहीं की। वह जानता था कि उसकी धीमी गति के भीतर भी एक ख़ासियत है।

विक्रमपुर में एक परिवर्तन:

एक दिन, विक्रमपुर में एक बहुत बड़ी समस्या आ गई। आस-पास के जंगल में आग लग गई थी, और तेज़ हवाओं के कारण वह आग विक्रमपुर तक पहुँचने की कगार पर थी। गाँव के लोग घबराए हुए थे। हर कोई अपनी जान बचाने के लिए भाग-दौड़ कर रहा था। घबराए हुए लोग जानवरों और कीड़ों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए दौड़ रहे थे। इस घबराहट में सब कुछ अस्त-व्यस्त हो गया था। लोग जल्दी-जल्दी अपने घरों से सामान निकाल रहे थे, लेकिन इसमें कई बार वे कुछ जरूरी चीजें भूल रहे थे या फिर चीजें इधर-उधर गिर रही थीं।

सोनाली भी तेज़ी से भाग रही थी। वह इधर-उधर दौड़ रही थी, लेकिन जब उसने देखा कि कुछ जानवर घायल हो गए हैं या रास्ते में फंस गए हैं, तो उसे समझ में आया कि उसकी तेज़ी के बावजूद वह बहुत कुछ छोड़ रही थी।

एमोसीनाइल धीरे-धीरे उन घायल जानवरों के पास पहुँचा और उन्हें ध्यान से सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। उसकी धीमी गति के कारण, वह अपनी राह पर स्थिर और सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ता रहा। उसके पास समय था कि वह घबराए हुए जानवरों को शांत कर सके, उन्हें समझा सके कि जल्दबाजी में कुछ नहीं मिलता। धीरे-धीरे, वह उन सभी को सुरक्षित स्थानों पर ले आया, जहाँ वे आग से दूर थे।

सोनाली, जो इस दौरान बहुत घबराई हुई थी, जब उसे देखा कि एमोसीनाइल उन सभी जानवरों की मदद कर रहा है, तो उसे एहसास हुआ कि उसकी तेज़ी का कोई खास मतलब नहीं था। वह भाग-भाग कर उन जानवरों को बचा रही थी, लेकिन वह कभी उन लोगों के पास नहीं रुक पाई, जो सच में उसे मदद की जरूरत थी।

“एमोसीनाइल, तुम तो बहुत सही कर रहे हो!” सोनाली ने कहा, “मुझे अब समझ में आया कि धीमा होना कभी-कभी बेहतर होता है।”

एमोसीनाइल ने मुस्करा कर कहा, “देखो, सोनाली, हर किसी की गति अलग होती है। हम सबका तरीका अलग है। कभी-कभी धीमा होना हमें औरों की मदद करने का मौका देता है, जबकि तेज़ी हमें जल्दी और अधूरी मदद देने की स्थिति में डाल सकती है।”

अंतिम शिक्षा:

विक्रमपुर में आग बुझाई गई और गाँव के लोग फिर से अपने सामान्य जीवन में लौट आए। इस घटना ने सभी को एक महत्वपूर्ण शिक्षा दी। सोनाली ने सीखा कि हर किसी का अपना तरीका और गति होती है, और यह जरूरी नहीं कि जो तरीका तेज़ हो, वह हमेशा बेहतर हो। एमोसीनाइल ने साबित किया कि धीमे और शांति से चलने वाला जीवन कभी-कभी तेज़ी से दौड़ने वाले जीवन से अधिक समझदार और सही होता है।

एमोसीनाइल अब पहले से ज्यादा खुश था। वह जानता था कि उसकी धीमी गति का मतलब यह नहीं था कि वह असफल था। बल्कि, वह अपनी यात्रा पर स्थिर और धैर्यपूर्वक चलने वाला था, और यही उसकी सफलता थी। सोनाली ने भी अपनी गति में सुधार किया, और अब वह चीजों को सोच-समझ कर और शांति से करने की कोशिश करती थी।

निष्कर्ष:

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि जीवन में सफलता और संतुष्टि सिर्फ गति पर निर्भर नहीं होती। कभी-कभी धीमे और स्थिर कदम हमें सही दिशा दिखाते हैं। हर किसी का तरीका अलग होता है, और हमें अपनी गति और तरीके का सम्मान करना चाहिए। एमोसीनाइल की तरह, हमें अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीना चाहिए और कभी भी दूसरों की गति के साथ अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए।

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